बारे में
वैदिक आश्रम गुरुकुल की विशेषताएँ
वैदिक आश्रम गुरुकुल महाविद्यालय योगाचार्य डिग्री और एक वर्षीय पी.जी. प्रदान करता है। योग डिप्लोमा. वहाँ हैं,
1. दो प्राचीन योग शालाएँ
2. भीम स्विमिंग पूल
3. महर्षि पतंजलि योग शाला
4. वीर भारत स्मारक
5. कृष्णा गौशाला आयुर्वेद
6. योग प्राकृतिक चिकित्सा अस्पताल जिसमें पंचकर्म की पूर्ण सुविधाएं हैं
7. 4 यज्ञशाला
8. उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त यश योग ज्योति मंदिर, जहाँ प्रतिदिन यज्ञ होता है
9. प्राकृतिक योग आयुर्वेद चिकित्सालय जिसमें नाड़ी परीक्षण द्वारा सभी असाध्य रोगों का निदान किया जाता है
10. गुरुकुल महाविद्यालय कण्वाश्रम में वर्ष भर नियमित रूप से शिविरों का आयोजन होता रहता है
संस्थाएँ और सामाजिक कार्य
1. वैदिक आश्रम गुरुकुल महाविद्यालय कण्वाश्रम कोटद्वार की स्थापना 2 जुलाई 1972 को हुई थी
2. 2006 में गुरुकुल इंटरनेशनल एकेडमी, चंदनपुरा बिजनौर यूपी
3. योग महाविद्यालय की स्थापना 2009 में की गई थी जिसमें योग में एम.ए. तक की शिक्षा दी जाती है।
4. योगीराज कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना वर्ष 2015 में हुई थी
5. वैदिक योग सांस्कृतिक संस्थान ओंटारियो कनाडा और अमेरिका में योग केंद्र की स्थापना वर्ष 2018 में की गई थी
योगीराज 1990 से भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री एवं कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। वे श्री आयुर्वेद फार्मेसी, उत्तराखंड के निदेशक भी हैं।
कहानी
महर्षि कण्व की स्मृति में बनेगा विश्वविद्यालय स्वामी जयंत सरस्वती ने भारत की आध्यात्मिक संस्कृति के महान अग्रदूतों, अध्यात्मवेत्ता और शिक्षाशास्त्री महर्षि कण्व, चक्रवर्ती राजा भरत और महाकवि कालिदास के इतिहास पर शोध करने में अपना बहुत समय लगाया है। हमारे पूर्वजों का गौरवशाली काल आकाश से टूटकर गिरे हुए नक्षत्र के समान प्रतीत होता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अतीत को भुलाकर वर्तमान के भविष्य को वांछित दिशा नहीं मिल सकती। इस पर गहन चिंतन के बाद स्वामी जी ने महर्षि कण्व की पावन भूमि पर अध्यापन का संकल्प लिया, जो उनके अनुसार अध्ययन का महायज्ञ है।. सर्वविदित है कि महर्षि कण्व के समय में हजारों ऋषिकुमार मालिनी नदी के तट पर स्थित विशाल विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों का अध्ययन करते थे। ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध संस्कृत कवि कालिदास ने अपनी कृति ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ की रचना यहीं पर की थी। योगीराज स्वामी जयंत सरस्वती ने शिक्षा के उसी प्राचीन स्वर्णिम काल को पुनर्जीवित करने के लिए वैदिक आश्रम गुरुकुल कण्वाश्रम की स्थापना की थी। उनका सपना है कि यह विश्वविद्यालय विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में गिना जाए। उन्हें पूर्ण विश्वास है कि समाजसेवियों, समाज के प्रतिष्ठित लोगों और समय-समय पर मिलने वाले सरकारी सहयोग से उनका यह स्वप्न अवश्य साकार होगा। योगीराज के पास प्राचीन काल में कण्व ऋषि के विद्यापीठ की तर्ज पर एक अत्याधुनिक विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की पूरी योजना है। वे इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
हमारा प्रभाव
आश्रम में सैकड़ों सेल्हेते छात्र अध्ययनरत हैं और स्वयं योगीराज का अद्भुत मार्गदर्शन प्राप्त है। आश्रम के छात्रावास में सैकड़ों छात्र नैतिक मूल्यों, शुद्ध आचरण, संयमित अनुशासित जीवन और योगाभ्यास का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
मालिनी नदी के तट पर स्थित वैदिक आश्रम, गुरुकुल कण्वाश्रम की शिक्षा व्यवस्था, वेदों पर आधारित ज्ञान-विज्ञान और तकनीक के अद्भुत समन्वय से युक्त एक अनूठी शिक्षा प्रणाली के लिए प्रतिबद्ध है। आश्रम के छात्रावास में रहने वाले छात्र भारतीय संस्कृति पर आधारित नैतिक मूल्यों के साथ उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
वे भारत की आध्यात्मिक संस्कृति की मूलभूत विशेषताओं को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे और अपने देश तथा विदेशों में इसके विस्तार के संवाहक बनेंगे।
आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान शुद्ध एवं विश्वसनीय आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण करता है। ये औषधियाँ योगीराज द्वारा निर्मित हैं और इनके शिष्य हैं-
1. कण्व अष्टवर्ग युक्त च्यवनप्राश
2. भीम शांत्स अवलेह
3. कण्व शुद्ब कौशलजीत
4. काटिवा हार्ट टेस्टआयुर्वेदिक टॉनिक
5. कण्व चंद्रप्रभा वटी
6. कंस दंत मंजन
7. गुइसंतक मंथन और गोलियाँ
8. ब्राह्मी आंवला तेल
9. शुद्ध हवन सामग्री
10. वातनाशक तेल
11. बेनिन बेलास हर्बल चाय